योजनाएं
प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से 0 % ब्याज पर फसल ऋण की सुविधा:
राज्य शासन द्वारा स्वीकृत ब्याज राहत योजना के अंतर्गत समितियों के माध्यम से बैंक द्वारा कृषकों को 0% ब्याज दर पर अल्प अवधि कृषि ऋण स्वीकृत किया जाता है |
इसके अंतर्गत 5.00 लाख रु. तक की अधिकतम सीमा तक कृषको को 0 प्रतिशत ब्याज दर पर अल्पावधि ऋण उपलब्ध करवाया जाता है जिसमे रुपे KCC के माध्यम से 3.00 लाख रुपए तक नगद तथा 2 .00 लाख रुपये तक खाद एवं बीज हेतु वस्तु ऋण के रूप में स्वीकृत किये जाने का प्रावधान है
कृषक यदि समय पर ऋण अदायगी नहीं करते हैं तो उन्हें शासन से ब्याज अनुदान की पात्रता नहीं होगी तथा ऐसे कृषकों से शुन्य प्रतिशत ब्याज दर के स्थान पर निर्धारित ब्याज के साथ-साथ दंड ब्याज भी वसूला जाएगा |
उत्पादन से ऋण अदायगी क्षमता
कृषक वर्ष में जो उपज प्राप्त करता है उसमें से कुछ भाग घरेलू आवश्यकता के लिए रखा जाता है, अतिरिक्त उत्पादन को विक्रय कर वह अपनी अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति तथा कर्ज अदायगी के लिए करता है। अतः कृषक की ऋण अदायगी क्षमता कुल (सकल) उत्पादन मूल्य का 50 प्रतिशत से 65 प्रतिशत तक माना गया है, जिसके अन्तर्गत अल्पकालीन, मध्यमकालीन ऋण शामिल होंगे। सामान्य फसल हेतु अल्पकालीन ऋण के लिए अदायगी क्षमता का 70 प्रतिशत ( अथवा कुल उत्पादन का 35 प्रतिशत ) एवं मध्यमकालीन ऋण के लिए ऋण अदायगी क्षमता का 30 प्रतिशत (अथवा कुल उत्पादन का 15 प्रतिशत) मानी जावेगी।
अल्पावधि ऋण वितरण की निर्धारित समयावधि
खरीफ के लिए | 1 अप्रेल से 30 सितम्बर तक |
रबी के लिए | 1 अक्टूबर से 15 मार्च तक |
गन्ना हेतु | 1 नवम्बर से 15 मार्च तक |
केला हेतु | 1 जुलाई से 30 नवम्बर तक अथवा |
पपीता हेतु | 15 जून से 31 जुलाई अथवा 1अक्टूबर से 30 नवम्बर अथवा 1 फरवरी स 31 मार्च तक |
अल्पावधि कृषि ऋणों की अदायगी तिथियां
ऋणों का विवरण | सदस्यों के लिए | समितियों के लिए |
खरीफ ऋण हेतु | 15 मार्च | मार्च का अंतिम शुक्र्रवार |
रबी ऋण हेतु | 15 जून | जून का अंतिम शुक्र्रवार |
ग्रीष्मकालीन धान हेतु | 15 जून | जून का अंतिम शुक्र्रवार |
पपीता हेतु ऋण की अदायगी 10 माह, गन्ना ऋण की अदायगी अवधि 15 माह, और केला ऋण की अदायगी अवधि 15 माह से अधिक नही होगी।
साग सब्जी हेतु ऋण
(अ) - यह ऋण लघु कृषकों को प्राथमिकता के आधार पर वितरित किया जावेगा, साथ ही जिनके पास सिंचाई की सुविधा हो उसे मद्देनजर रखते हुए ही ऋण स्वीकृत किया जावेगा। इस हेतु प्रत्येक सदस्य का सामान्य ऋण प त्रक तैयार करना अनिवार्य होगा।
(ब) - नदी के किनारे निवास करने वाले ऐसे कृषक जो खरबूज/तरबूज अथवा ककड़ी इत्यादि की फसल लेना चाहते है उन्हे उनके स्वयं के कृषि भूमि को बंधक रखकर पात्रता अनुरूप अल्पकालीन ऋण दिया जावेगा ।
ऋण के अनुपात में अंश क्रय किया जाना
(अ) - समिति द्वारा बैंक का अंश क्रय करना:
सहकारी समितियों द्वारा लघु कृषकों को दिए जाने वाले ऋण पर 5 प्रतिशत तथा अन्य कृषकों को दिये जानेवाले ऋण पर 15 प्रतिशत के मान से बैंक का अंश क्रय करना अनिवार्य है।
(ब) - कृषक सदस्यों द्वारा प्राथमिक संस्थाओं का अंश क्रय करना:
प्राथमिक संस्थाओं से कृषक सदस्यों द्वारा अल्पकालीन ऋण लेते समयनिम्नानुसार अंश क्रय किया जावेगा।
लघु कृषकों द्वारा | 5 प्रतिशत |
अन्य कृषकों द्वारा | 15 प्रतिशत |
उपरोक्त अंश की राशि एक मुश्त वसूल की जावेगी। |
संयुक्त देयता समूह के अंतर्गत ऋण
उद्देश्य:- इस ऋण का उद्वेश्य उन कृषकों को ऋण उपलब्ध करवाया जाना है जिनके पास अपनी वैयक्तिक क्षमता मे बैंक ऋण प्राप्त करने हेतु पर्याप्त जमानत (कोलेटरल) नहीं है जैसे भूमिहीन , लघु सीमांत कृषक, रेग पर भूमि लेने वाले कृषक (टेरेट फारमर), मौखिक पट्टेदार (ओरल लेजी ) आदि। संयुक्त देयता समूह के गठन तथा ऋण वितरण के लिए नियम एवं शर्तें निम्नानुसार होगी:-
क) समूह सामान्यतः 4 से 5 व्यक्तियो का होगा, जो एक गांव/क्षेत्र का निवासी होंगे। समूह के संयुक्त लिए देयता/व्यक्तिगत ऋण लेने को लिए एक दूसरे से भली-भाती परिचित होना चाहिए और उन्हें आपस में विश्वास करना चाहिए। एक परिवार से केवल एक सदस्य ही समूह में शामिल किया जावेगा।
ख) समूह की अथवा उसके सदस्यो को व्यक्तिगत रूप से निश्चित उद्देश्य जैसे - कृषि, मछली पालन, पशुपालन, सिलाई मशीन आदि के लिए ऋण दिया जा सकेगा। समूह के सभी सदस्य एक दूसरे के ऋण जमा कराने के संबंध मे आपसी गारंटी लेंगे।